सावन माह 14 जुलाई से शुरू हो रहा है जो, 11 अगस्त तक रहेगा। इस बार सावन की पूर्णिमा 2 दिन रहेगी, इसलिए रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा। श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना होता है। इस दौरान की गई शिव आराधना से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं।
इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे, जिसमें 25 जुलाई को प्रदोष का महासंयोग बनेगा, साथ ही इस महीने पांच गुरुवार भी रहेंगे। यह अपने आप में बड़ा शुभ संयोग है और अच्छे संकेत भी है। सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को और आखरी 8 अगस्त को रहेगा। पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:38 से शुरू हो रही है, जो कि अगले दिन 12 अगस्त 7:05 सुबह तक खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि होने के बाद 12 अगस्त को रक्षाबंधन नहीं मनाया जा सकेगा, जिसके चलते 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। इसके साथ ही सावन का महीना भगवान शिव जी की पूजा अर्चना के नाम रहेगा। चारों सोमवार को श्रद्धालु भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करेंगे, व्रत रखकर सुबह-सुबह शिवजी को बेलपत्र अर्पित करेंगे। मंदिरों में विधि विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाएगी।
श्रवण नक्षत्र के कारण महीने का नाम श्रावण
सावन मास को यह नाम श्रवण नक्षत्र की वजह से मिला है। श्रवण हिंदू पंचांग की कालगणना में उपयोग में आने वाले 27 नक्षत्रों में से 22 वा नक्षत्र है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्रवण नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति ग्रह है। श्रावण मास को हिंदू कैलेंडर का पवित्र महीना माना गया है। वहीं सोमवार को शिव पूजा करने वाली कुंवारी लड़कियों को मनोवांछित वर प्राप्त होता है, वहीं पुरुषों को भी उनकी पसंद की कन्या मिलती है। इसलिए यह कहा गया है कि जिनके विवाह आदि में रुकावट आ रही हो उन्हें निश्चित रूप से सावन के सोमवार का व्रत रखना चाहिए।
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