स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी मौत 1945 के विमान हादसे में बताई जाती है, लेकिन इस पर भी काफी सवाल खड़े हुए हैं। क्या वाकई नेताजी की मौत प्लेन क्रैश में हुई थी? आखिर क्यों उनकी मौत एक रहस्य बन गई? ये सवाल सदियों से हमारे इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। इसी पर आधारित है नई वेब सीरीज 'इन सर्च ऑफ द लॉस्ट प्राइम मिनिस्टर'। ये कहना है. 'इन सर्च ऑफ द लॉस्ट प्राइम मिनिस्टर' वेब सीरीज के लेखक और निदेर्शक प्रख्यात पांडे का।नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उन्होंने प्रेसवार्ता में मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि यह वेब सीरीज' नेताजी के जीवन और उनके वास्तविक जीवन की घटनाओं और मृत्यु के बाद के महत्वपूर्ण हिस्सों को दर्शाती है।और इसके लिए हमने खासी रिसर्च की है।यह' एक पीरियाडिक ड्रामा है जिसमें 1940 और 70 के दशक के युग को देखा जा सकता है। इस सीरीज में एक्टर अनूप जोशी, प्रतीक दीवान, संजय मेहता मुख्य किरदार में नजर आएंगे।
इस फिल्म के लेखक और निर्देशक प्रख्यात पांडे ने कहा कि एक थ्योरी है कि 1945 में प्लेन क्रैश के बाद सुभाष चंद्र बोस की डेथ हो गयी थी लेकिन क्या सच में ऐसा हुआ था और अगर नहीं हुई थी तो वो कहां थे? अगर छुप कर रह भी रहे थे तो बाहर क्यों नहीं आए? नेताजी सुभाष चंद्र बोस की डेथ मिस्ट्री को यह फिल्म हाईलाइट करती है।
बोस और उनकी फौज की वजह से मिली आजादी
इस फिल्म का टाइटल द लॉस्ट प्राइम मिनिस्टर इसलिए रखा गया है क्योंकि हमे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी आजाद हिंद फौज की वजह से आजादी मिली थी।सुभाष चंद्र बोस ने जब कोहिमा और इम्फाल पर अटैक किया था उसके बाद ब्रिटिशर्स ने हमारे 3 सोल्जर्स को पकड़ा और कहा कि हम इन्हें फांसी पर लटकाएंगे जिसे लेकर ब्रिटिश सेना में शामिल इंडियन सोल्जर्स ने विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद ही ब्रिटिश सरकार के इंडिया के हेड ने क्वीन को लेटर लिखकर कहा कि हमें इंडिया को अपनी शर्तों पर आजादी दे देनी चाहिए वरना ये हमको पीटकर आजादी ले लेंगे। तो हमको आजादी लड़कर ही मिली है आजाद हिंद फौज की वजह से।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पर्सनालिटी है ग्रैंड
इस वेब सीरीज के लेखक और निर्देशक प्रख्यात पांडे ने बताया कि जब मैंने नेताजी के बारे में पढ़ना शुरू किया तो मुझे लगा कि इनकी पर्सनालिटी बहुत ग्रैंड है जो हमको अब तक पता नहीं है। जैसे पनडुब्बी से जर्मनी से जापान तक आना। इतना लंबा रास्ता उन्होंने एक छोटी सी पनडुब्बी में महीनों सफर कैसे पूरा किया और उन्होंने कैसे विदेश जाकर एक विशाल फौज बना दी।
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