नई दिल्ली। लंबे समय से पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की का समर्थन करते आ रहे चीन ने आखिरकार अपना हाथ खींच लिया है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकी की लिस्ट में डाल दिया है। इससे पहले जब भी इसको लेकर प्रस्ताव पेश किया जाता था, चीन अड़ंगा लगा देता था। पहली बार उसने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। बता दें कि मक्की को अमेरिका पहले ही आतंकी घोषित कर दिया है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी उसे ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में शामिल कर लिया।
बीते साल जून में भारत ने इसी बात को लेकर चीन को खूब सुनाया था। यूएन में जब मक्की के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था तब चीन ने अज्ञात कारणों से इसपर असहमति जता दी थी। 75 साल के मक्की का लश्कर में बड़ा पद था और भारत ने भी अपने देश के कानून के मुताबिक उसे आतंकवादी घोषित कर रखा है।
भारत-अमेरिका में पहले से ही बैन
बता दें कि भारत और अमेरिका पहले ही अब्दुल रहमान मक्की को अपने देश में कानूनों के तहत आतंकवादी घोषित कर चुके हैं। मक्की भारत में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है, जिसमें आतंकी हमलों के लिए धन जुटाने, भर्ती करने और युवाओं को हिंसा के लिए कट्टरपंथी बनाने और विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में हमलों की योजना बनाने में शामिल रहा है। अब्दुल रहमान मक्की लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) प्रमुख और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बहनोई है।
चीन बना था रोड़ा
दरअसल, 16 जून 2022 को चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची में शामिल करने के अमेरिका और भारत के संयुक्त प्रस्ताव को आखिरी क्षण में बाधित कर दिया था। अमेरिका और भारत ने सुरक्षा परिषद की अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत मक्की को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के लिए संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था। 16 जून को चीन के अलावा सभी सदस्यों ने मक्की का नाम आतंकी पेरिस में जोड़े जाने का समर्थन किया।
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