भोपाल। मध्यप्रदेश के रीवा एवं मुरैना वासियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। रीवा के विश्व प्रसिद्ध सुंदरजा आम और मुरैना के स्वादिष्ट गजक को जीआई टैग का तगमा हासिल हुआ है। रविवार को इस बात की जानकारी देते हुए एमपी सीएम और केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने बधाई दी है।
रीवा के गोविंदगढ़ के इस सुंदरजा आम की खासियत के बारे में तो आप सभी को पता ही होगा। यह आम की एक ख़ास प्रजाति है। जो विश्व भर में प्रसिद्धि हासिल कर चुका है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी इस आम को बड़े चाव से खाते है और इसके स्वाद का आनंद लेते हैं। अब सुंदरजा आम को एक और ख़ास उपलब्धि हासिल हुई है। गोविंदगढ़ के सुन्दरजा आम की प्रजाति को जीआई टैग दिया गया है।
मुरैना का गजक और धमतरी का दूबराज चावल भी जीआई टैग
सुंदरजा आम की ही तरह मुरैना के गजक को भी जीआई टैग मिला है। मुरैना का गजक और स्वाद दुनियाभर में चखा जाता है। वहीं जीआई टैग से छत्तीसगढ़ के धमतरी के नागरी दूबराज चावल को भी नवाजा गया है। अब जानते हैं क्या है जीआई टैग, और क्यों ये इतना ख़ास होता है।।
जीआई टैग क्या है?
हर जगह की अपनी एक खासियत होती है। ऐसे ही भारत के अलग अलग राज्यों के अलग-अलग जगहों की कोई न कोई संस्कृति, खान-पान की अपनी एक खासियत होती है, जिसकी प्रसिद्धि दुनियाभर में होती है। ऐसी वस्तुओं का उत्पादन उच्च क्वालिटी और भारी मात्रा में होता है। इस उत्पाद की वजह से वह जगह भी ख़ास हो जाती है, जहां इसका उत्पादन होता है। ऐसे में उस क्षेत्र की वस्तु को प्रमाणित (Certified) करने के लिए उसे एक स्थाई टैग दिया जाता है जिसे हम Gi Tag यानी Geographical Indication Tag कहते हैं। कौन देता है GI टैग? अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे उत्पाद और क्षेत्र विशेष को जीआई टैग का तगमा देता कौन है? तो आपको आज से 20 साल पहले ले चलते हैं। किसी क्षेत्र के किसी ख़ास उत्पाद के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया वर्ष 2003 में शुरू की गई थी। यानि जीआई टैग को 2003 में शुरू किया गया। भारत में ऐसी वस्तुओं को जीआई टैग दिया जाता है जो अपने आप में यूनिक हों। जिसका डंका दुनियाभर में बजे। उस वस्तु या उत्पाद के चलते उत्पादक क्षेत्र भी काफी प्रसिद्द हो जाता है। इस टैग से विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों में पैदा होने वाली फसलों या वहां पर तैयार किए जाने वाले उत्पादों को विश्व में अपनी विशेष पहचान दिलाने के लिए प्रदान किया जाता है। किसी क्षेत्र में विशेष गुणवक्ता वाले उप्तादों या वस्तुओं को जीआई टैग देने का काम वाणिज्य मंत्रालय विभाग के इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा किया जाता है। जीआई टैग सिर्फ उत्पाद ही नहीं बल्कि उत्पादन करने वाले जिले और राज्य को भी दिया जाता है। भारत में सबसे पहला जीआई टैग 2004 में पश्चिम बंगाल की Darjeeling Tea (दार्जिलिंग के चाय) को दिया गया था।
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