भोपाल। साल 2023 के आखिर मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इसको लेकर राजनीतिक दल भी तैयारियों में जुट गए हैं। सभी राजनीतिक दलों के केंद्र में युवा हैं। इसकी बड़ी वजह है कि मध्य प्रदेश में 52% वोटर 18 से 39 साल के बीच के हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है जब युवा वोटर इतनी ज्यादा तादाद में प्रदेश में हैं। अभी कुल अनुमानित आबादी 8.25 करोड़ है, इसमें 2 करोड़ 85 लाख 49 हजार 138 वोटर ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 से 39 साल के बीच है। जबकि 40 के ऊपर की आबादी 48% है । साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना इसलिए 4 विधानसभा चुनाव का वोट ट्रेंड देखें तो युवा वोटर ने सरकार बनाने को सबसे अहम भूमिका निभाई है। 1 जनवरी 2023 की स्थिति में मध्यप्रदेश में 5 करोड़ 40 लाख 87 हजार 876 वोटर हैं, जिसमें 30 लाख ऐसे हैं जो पहली बार वोट डालेंगे । इन्हीं वोटरों को ध्यान में रखकर राजनीतिक दल अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं।
पिछले चार चुनाव का ट्रेंड हर बार 30% से ज्यादा रहे नए वोटर
अगर पिछले 4 विधानसभा चुनाव का ट्रेन देखे तो हर बार प्रदेश में 30% से ज्यादा नए वोटर रहे जिन्होंने सरकार चुनने में अहम भूमिका निभाई।
2003 विधानसभा चुनाव
2003 में 3करोड़ 79 लाख कुल वोटर थे। इनमें 30% से ज्यादा नए वोटर थे, कुल 2.62 करोड़ ने वोट डाला । 67.25% वोटिंग हुई थी । तब भाजपा को कांग्रेस से 10% ज्यादा वोट मिले थे। भा जा पा 173 तो कांग्रेस 38 सीटें जीती थी। इस चुनाव में बेरोजगारी ही अहम मुद्दा था।
2008 विधानसभा चुनाव
3.62 करोड़ वोट थे। जिनमें 2.51 करोड ने वोट किया था। वोटिंग प्रतिशत 69.28 था। कुल वोटरों में 32% युवा थे, भाजपा को कांग्रेस से 5.24% ज्यादा वोट मिले थे। तब भाजपा को 143 और कांग्रेस को 71 सीटें मिली थी।
2013 विधानसभा चुनाव
कुल 4 करोड़ 66 लाख वोटर थे। जिनमें से 3,36,12951वोटरों ने मतदान किया। युवा वोटर 32% से 35% थे । वोटिंग प्रतिशत 72.07 रहा । भाजपा को कांग्रेस से 8.4% वोट ज्यादा मिले । उन चुनावों में भाजपा ने 166 और कांग्रेस ने 58 सीटें जीतीं थीं।
2018 विधानसभा चुनाव
कुल 5.03 करोड़ वोटर थे इनमें से 3.8 करोड़ ने वोट किया था। वोट प्रतिशत 74.96 था जो बीते तीन चुनाव में सबसे ज्यादा था। 36% वोटर नए थे ,लेकिन भाजपा को कांग्रेस से सिर्फ़ 1 फ़ीसदी वोट ही ज्यादा मिले थे ।कांग्रेस को 114 तो भाजपा को 109 सीटें मिली थीं।
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