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भाजपा भोपाल में बड़ी ताकत, लेकिन इस बार यहां मुकाबला कड़ा होने के आसार, यह है वजह

भाजपा भोपाल में बड़ी ताकत, लेकिन इस बार यहां मुकाबला कड़ा होने के आसार, यह है वजह

भोपाल। भाजपा का गढ़ बन चुकी भोपाल लोकसभा सीट पर मुकाबला इस बार रोचक होता दिख रहा है। अब जबकि प्रचार खत्म होने में महज कुछ ही घंटे शेष है, तब भाजपा के आलोक शर्मा और कांग्रेस के अरुण श्रीवास्तव के बीच कड़े मुकाबले के आसार बन गए हैं। वजह है जातीय और दलीय आधार पर मतदाताओं का लामबंद हो जाना। कांग्रेस के अरुण प्रारंभ में मुकाबले से बाहर दिख रहे थे, लेकिन कायस्थ और मुस्लिम समाज के एकजुट हो जाने के कारण वे मुकाबले में आ गए। दलितों का बड़ा वर्ग भी कांग्रेस के अरुण के साथ नजर आ रहा है।  


दूसरी तरफ भाजपा भोपाल में बड़ी ताकत है। भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी की सेफ सीटों में से एक है। यहां बीजेपी उम्मीदवार सुरक्षित महसूस कर सकता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कांग्रेस का उम्मीदवार कौन है। चुनावी लड़ाई में उसके सामने कितनी भी चुनौतियां हों। ये सीट अभी तक सुरक्षित बनी हुई है।


आलोक शर्मा VS अरुण श्रीवास्तव

2019 के लोकसभा चुनाव में प्रज्ञा सिंह भले ही भारी मतों से जीती लेकिन बीजेपी ने भरोसा आलोक शर्मा पर किया है। ब्राह्मण समाज से आने वाले आलोक शर्मा 1994 में निगम पार्षद रह चुके हैं। 2015 में वो भोपाल नगर निगम के महापौर रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में वो भोपाल उत्तर से मैदान में थे लेकिन हार गए थे।

कांग्रेस ने पिछली बार इस सीट दिग्विजय सिंह को टिकट दिया था लेकिन इस बार अरुण श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है। अरुण श्रीवास्तव पेशे से वकील हैं और कायस्थ समाज से आते हैं। अरुण कांग्रेस पार्टी के भोपाल इकाई के उपाध्यक्ष समेत कई अहम पदों पर रह चुके हैं।

भोपाल की लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा की सीटें आती हैं। इनमें से 5 विधानसभा सीटें बीजेपी के पास हैं और 2 सीटें कांग्रेस के पास हैं। भोपाल लोकसभा सीट के तहत बैरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण और पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा और हुजूर विधानसभा सीटें आती हैं।


सियासी समीकरण 

इस संसदीय क्षेत्र में इस बार 23 लाख 28 हजार 59 मतदाता वोट डालेंगे। 2019 के मुकाबले इस चुनाव में 2।26 लाख वोटर ज्यादा है। मोटे तौर पर बात करें तो 56 फीसदी हिंदू हैं और 40 फीसदी आबादी मुस्लिम हैं।

फिलहाल सियासी रण में इस बार खेल दिलचस्प है। देखना ये है कि जीते हुए प्रत्याशी का टिकट काटकर नए उम्मीदवार को मैदान में उतारना बीजेपी को बहुमत की तरफ ले जाएगा या भारी पड़ जाएगा।


पिछले चुनावी नतीजों पर नजर

भोपाल सीट गैस कांड से पहले कांग्रेस का गढ़ थी लेकिन इसके बाद से बीजेपी ने यहां से लगातार जीत हासिल की है। भोपाल में अब तक 16 बार आम चुनाव हुए हैं जिसमें से 9 बार बीजेपी, 5 बार कांग्रेस, 1 बार जनसंघ और भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस को यहां 1957, 1962, 1971, 1980 और 1984 में जीत मिली है लेकिन उससे बाद से लगातार बीजेपी ही जीत दर्ज कर रही है। 


2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने लगभग 26% मार्जिन के साथ जीत दर्ज की थी। उन्हें 61.5% या 8,66,482 वोट मिले थे। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह हारे थे, उन्हें 5,01,660 वोट मिले थे।


2014 में बीजेपी के आलोक संजर ने 32.8% वोट के साथ जीत हालिस की थी। उनका विनिंग मार्जिन 63.2% था। वहीं कांग्रेस पीसी शर्मा को 3,43,482 मिले थे।

2009 के लोक सभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के कैलाश जोशी ने 50.95% वोट के साथ जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह ठाकुर 41.06% वोटों के साथ हार गए थे।


भोपाल में कब कौनसी पार्टी का कैंडिडेट जीता

साध्वी प्रज्ञा (भापजा): 2019

आलोक संजर (भाजपा): 2014

कैलाश जोशी (भाजपा): 2009

कैलाश जोशी (भाजपा): 2004

उमा भारती (भाजपा): 1999

सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा): 1998

सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा): 1996

सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा): 1991

सुशील चंद्र वर्मा (भाजपा): 1989

केएन प्रधान (कांग्रेस): 1984

शंकर दयाल शर्मा (कांग्रेस): 1980

आरिफ बेग (बीएलडी): 1977

News World Desk

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