भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले एमपी के नेताओं में दलबदलने का सिलसिला चला। इस दौरान कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी। इसी क्रम में मध्यप्रदेश में 3 सिटिंग MLA यानी वर्तमान विधायक भी पार्टी बदलकर बीजेपी में शामिल हुए थे। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद भी अभी 3 में से केवल 1 ने ही इस्तीफा दिया है।
इन विधायकों ने बदली पार्टी
30 अप्रैल के दिन 6 बार के विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे रामनिवास रावत ने बीजेपी का दामन थामा। इसके बाद 5 मई को सागर जिले में कांग्रेस की एकलौती विधायक निर्मला सप्रे ने भी बीजेपी की सदस्यता ले ली। इससे ठीक एक महीने पहले एक और कांग्रेसी विधायक कमलेश शाह भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
इन विधायकों ने नहीं दिया इस्तीफा
लोकसभा चुनाव के दौरान अबतक तीन कांग्रेसी विधायक बीजेपी से हाथ मिला चुके हैं। लेकिन दलबदल करने वाले इन सभी नेताओं में से सिर्फ एक विधायक कमलेश शाह ने ही अपनी विधायकी छोड़ी है। बाकी के दोनों विधायकों से पार्टी बदलने के बाद भी विधायकी का मोह नहीं छूट रहा है। अगर ये दोनों ही विधायक खुद इस्तीफा नहीं देते हैं तो इन पर दलबदल कानून लागू होगा
क्या है दबलदल कानून?
इस तरह के मामलों में संविधान की दसवीं अनुसूची के दल-बदल के नियम लागू होते हैं। नियमों के तहत इन दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द कराने के लिए कांग्रेस को शिकायत करनी होगी। इसमें कांग्रेस का कोई विधायक सबूतों के साथ विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत कर सकता है। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष की ओर से संबंधित दल के अध्यक्ष से पूछा जाता है कि क्या इन्होंने आपकी पार्टी की सदस्यता ली है। अध्यक्ष के जवाब के बाद आगे की कार्रवाई की जाती है और विधायक को सदस्यता छोड़नी पड़ती है।
इसे लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक फैसला दिया था, जिसके मुताबिक अगर दल-बदल को लेकर कोई शिकायत आती है तो तीन महीने के अंदर स्पीकर को फैसला लेना होगा। इस पूरे मामले में कांग्रेस का कहना है कि अगर ये दोनों विधायक इस्तीफा नहीं देते हैं तो इसकी शिकायत स्पीकर से की जाएगी और दोनों ही विधायकों की सदस्यता खत्म कराएंगे।
Comments
Add Comment