नई दिल्ली। दुनिया में तेजी से बढ़ते कैंसर के मामलों के बीच एक अच्छी खबर आई है। फिलीपींस के वैज्ञानिकों ने ऐसी चावल की किस्में खोजी हैं, जिनमें कैंसर रोधी प्राकृतिक गुण पाए गए हैं। यह खोज खासतौर पर भारत, चीन और अन्य एशियाई देशों के लिए अहम मानी जा रही है, जहां हर साल लाखों लोग कैंसर का शिकार होते हैं।
चावल की किस्मों में पाए गए सुपरफूड जैसे गुण
फिलीपींस स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। उन्होंने 1.32 लाख चावल के नमूनों की गहन जांच की। इनमें से लगभग 800 रंगीन चावल की किस्मों को केमिकल एनालिसिस और बॉडी इम्पैक्ट टेस्ट से गुजारा गया। जांच के दौरान 6 ऐसी किस्में सामने आईं, जिनमें कैंसर-रोधी और एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व उच्च मात्रा में मौजूद हैं।
चिया सीड्स और ब्लूबेरी जैसी ताकत
वैज्ञानिकों ने बताया कि इन चावलों में वो एंटी-ऑक्सीडेंट पाए गए हैं, जो आमतौर पर महंगे सुपरफूड्स जैसे चिया सीड्स और ब्लूबेरी में होते हैं। खास बात यह है कि इन चावलों को पकाने के बाद भी इनके 70% तक लाभकारी तत्व सुरक्षित रहते हैं।
कैंसर कोशिकाओं पर जबरदस्त असर
शोध के दौरान इन चावलों का कैंसर कोशिकाओं पर प्रभाव देखा गया। परिणामों ने चौंकाया — इन चावलों ने कैंसर की ग्रोथ को रोकने में शानदार प्रदर्शन किया। इन चावलों से बने ब्रान (चोकर) एक्सट्रैक्ट को जब सप्लीमेंट के रूप में उपयोग किया गया, तो वह भी बेहद असरदार साबित हुआ।
जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
यह रिसर्च दुनिया के प्रतिष्ठित साइंटिफिक जर्नल ‘Food Hydrocolloids for Health’ में प्रकाशित की गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज भविष्य में नेचुरल कैंसर प्रिवेंशन डायट का हिस्सा बन सकती है। खासतौर पर ग्रामीण और कम आय वर्ग के लोगों को इसका सीधा लाभ मिल सकता है।
तंबाकू और खराब खानपान बनी बड़ी वजह
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, कैंसर से होने वाली एक-तिहाई मौतें आज भी तंबाकू सेवन, गलत खानपान, शारीरिक निष्क्रियता और फलों-सब्जियों की कमी के कारण होती हैं। ऐसे में अगर चावल जैसी आम चीज से कैंसर की रोकथाम हो सके, तो यह दुनियाभर की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए क्रांतिकारी कदम होगा।
भारत के लिए क्या मायने?
भारत जैसे देश में जहां चावल रोजमर्रा की थाली का हिस्सा है, वहां अगर ये खास किस्में आम लोगों तक पहुंच पाती हैं तो यह सस्ती और सुलभ कैंसर से बचाव की दिशा में बड़ा कदम होगा। सरकार और कृषि वैज्ञानिकों के लिए यह रिसर्च नई संभावनाओं के दरवाजे खोलती है।
अगला कदम?
फिलहाल इन किस्मों को पहचानने और प्रयोगशाला स्तर पर सफल टेस्टिंग के बाद, अब इन्हें आम किसानों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। अगर सरकारें और स्वास्थ्य एजेंसियां साथ आएं, तो जल्द ही ये 'कैंसररोधी चावल' हमारी रसोई में पहुंच सकते हैं।
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