इंदौर। रक्तदान की परिभाषा किसी व्यक्ति की जान बचाने तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में जीवन की निरंतरता बनाए रखने की सबसे बड़ी सेवा है। समय पर दिया गया रक्त न जाने कितने घरों में उम्मीद की लौ जलाता है। इसी जीवनदायिनी भावना को सम्मान देने के लिए इंदौर में विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर 351 रक्तदाताओं का सम्मान किया गया।
यह आयोजन भारत के पहले निःशुल्क ब्लड कॉल सेंटर द्वारा किया गया, जो रेडक्रॉस के अंतर्गत कार्य करता है। यह सेंटर कई सालों से देशभर में जरूरतमंदों को एक कॉल पर निःशुल्क रक्त उपलब्ध करवाने में जुटा हुआ है। आज देश के अलग-अलग कोनों से लगभग साढ़े चार लाख से अधिक लोग इस सेवा से जुड़े हुए हैं और हर दिन किसी न किसी के जीवन को नया मौका दे रहे हैं।
रविवार शाम इंदौर में आयोजित इस कार्यक्रम में 251 पुरुष और 101 महिला रक्तदाताओं को मंच पर आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। इस गरिमामयी अवसर के मुख्य अतिथि इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और संभाग आयुक्त दीपक सिंह रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि यह मंच केवल सम्मान का नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने का एक प्रयास है।
समारोह में कई रक्तदाताओं ने अपनी प्रेरणादायक कहानियाँ भी साझा कीं, कई ने पहली बार रक्त दिया, तो कुछ ऐसे भी थे जो वर्षों से नियमित रूप से यह सेवा दे रहे हैं। उनका एक ही उद्देश्य है- "जहाँ जरूरत हो, वहाँ बिना रुके पहुँचना।"
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सामाजिक संस्थाओं और प्रतिष्ठित व्यवसायियों का भी अहम् योगदान रहा। पीआर 24x7 के अतुल मलिकराम, सच्चा मोती साबूदाना के राजकुमार जी साबु, सिल्वर कॉइन आटा के राहुल जी संघवी, इंदौर सेवा ट्रस्ट के योगेंद्र महेंद्र जी, और पटेल मोटर्स के नवनीत जी पटेल ने आयोजन में सहयोग देकर समाज सेवा की मिसाल पेश की।
यह आयोजन एक स्पष्ट संदेश के साथ संपन्न हुआ कि रक्तदान सिर्फ दान नहीं, एक नैतिक जिम्मेदारी है, और इंदौर ने एक बार फिर इसे बखूबी निभाया है।
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