शिवपुरी। मध्य प्रदेश की राजनीति में सोमवार को एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब कोलारस से कांग्रेस के पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता वीरेंद्र रघुवंशी ने अचानक पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस खबर ने प्रदेश की राजनीति, खासकर कांग्रेस खेमे में हड़कंप मचा दिया है।
रघुवंशी ने सोशल मीडिया पर अपना इस्तीफा साझा करते हुए इसकी वजह स्वास्थ्य कारणों को बताया है। लेकिन, यह इस्तीफा जितना साधारण बताया जा रहा है, उससे कहीं ज्यादा राजनीतिक भूचाल खड़ा कर रहा है। इसकी टाइमिंग ने कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल, इस्तीफे से ठीक एक दिन पहले, रघुवंशी ने एक महत्वपूर्ण पार्टी बैठक की जानकारी भी सोशल मीडिया पर साझा की थी, जो 16 जून को कोलारस के होटल फुलराज में आयोजित होनी है। यह बैठक कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत शिवपुरी जिले के नए जिला अध्यक्ष के चयन को लेकर रखी गई है। बैठक में केंद्रीय और प्रदेश पर्यवेक्षक, साथ ही कई वरिष्ठ नेता शामिल होने वाले हैं।
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि जब रघुवंशी उस बैठक को लेकर इतनी सक्रियता दिखा रहे थे, तो फिर अचानक इस्तीफा क्यों? क्या यह केवल ‘स्वास्थ्य खराब’ होने का मामला है या फिर कांग्रेस के भीतरूनी संघर्ष और गुटबाज़ी से उपजी नाराज़गी का परिणाम?
क्या अंदरूनी कलह है वजह?
स्थानीय राजनीतिक सूत्रों की मानें तो रघुवंशी लंबे समय से संगठन में उपेक्षा का शिकार थे। उनके सुझावों की अनदेखी और नए नेतृत्व से टकराव ने उन्हें धीरे-धीरे पार्टी के हाशिए पर ला दिया था। कुछ जानकारों का तो यहां तक कहना है कि वे किसी नए राजनीतिक विकल्प की तलाश में हैं, हालांकि इस पर रघुवंशी की तरफ से अब तक कोई खुलासा नहीं हुआ है।
कांग्रेस को बड़ा नुकसान?
वीरेंद्र रघुवंशी कोलारस क्षेत्र में कद्दावर और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। उनका यूं अचानक कांग्रेस से अलग होना, पार्टी के लिए न केवल संगठनात्मक बल्कि जनाधार स्तर पर भी झटका माना जा रहा है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि कांग्रेस इस घटनाक्रम पर क्या प्रतिक्रिया देती है और रघुवंशी का अगला राजनीतिक कदम क्या होता है?
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