मुरैना। "मैंने इसे पहचान लिया है..." — ये मलिश्का कडेरा के आखिरी शब्द थे। और फिर गूंजा देसी कट्टे से निकला वो शोर, जो उसकी जिंदगी को खत्म कर गया। सिर में तीन गोलियां... एक-एक कर उसके दोनों कानों के पास और फिर पीछे। मुरैना की रात खून से लाल हो गई।
सोमवार रात 9:30 बजे की ये वारदात जौरा के बदरपुरा चौराहे की है। 19 वर्षीय मलिश्का माता-पिता के साथ बाइक से मामा के घर से लौट रही थी, तभी चार हमलावरों ने रास्ता रोका और सिर में गोली मार दी। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
जमीन के 6 लाख के सौदे ने ली जान? दादा बोले— पहले भी मिल चुकी थीं धमकियां
मलिश्का के दादा सिरनाम सिंह ने बताया कि 8 साल पहले गांव के ही भीकम नामक व्यक्ति से 6 बीघा ज़मीन खरीदी थी। सौदा 6 लाख रुपये में हुआ था, लेकिन रजिस्ट्री को लेकर विवाद बना रहा। दादा का आरोप है कि उसी रंजिश में भीकम के बेटे और उसके दोस्तों सौरभ और गौरव ने मलिश्का की हत्या कर दी।
पुलिस पर गंभीर आरोप: “समय रहते आती तो बेटी की जान बच सकती थी”
परिजनों ने बताया कि वारदात की सूचना मिलने के बावजूद पुलिस देर से पहुंची। तब तक मलिश्का का शव सड़क पर पड़ा रहा। बागचीनी थाना प्रभारी डिंपल मौर्य ने बताया — “एक लड़की को गोली मारी गई है जिससे उसकी मौत हो गई है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।”
घर की सबसे बड़ी थी मलिश्का, दो बहनों का सहारा छिन गया
परिजनों के मुताबिक मलिश्का चिंनोनी स्थित करैरा स्कूल में 11वीं कक्षा की छात्रा थी। वो तीन बहनों में सबसे बड़ी थी।
उसे पढ़ाई के साथ-साथ परिवार की भी बड़ी जिम्मेदारी संभालनी थी। उसकी असमय मौत ने परिवार को सदमे में डाल दिया है।
सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था
इस वारदात ने मुरैना जिले की कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
– क्या पुलिस पहले से जानकारी के बाद भी सतर्क नहीं थी?
– अगर समय पर मदद मिलती तो क्या बच सकती थी छात्रा की जान?
– क्या जमीन विवाद की जांच पहले की जा सकती थी?
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