भोपाल समेत मध्य प्रदेश के सभी नगरीय क्षेत्रों में सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगाने वालों को अब बड़ा फायदा मिलेगा। शहरी आवास एवं विकास विभाग ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत भवनों में सोलर प्लांट लगाने पर उन्हें अतिरिक्त एफएआर (FAR - Floor Area Ratio) का लाभ दिया जाएगा। यह नियम अधिसूचना जारी होते ही प्रभावी हो जाएगा।
क्या है नया नियम?
➡️ यदि कोई भवन निर्माता रूफटॉप सोलर प्लांट लगाता है, तो वह उसकी हाइट और एरिया के अनुपात में उतना अतिरिक्त निर्माण कर सकेगा।
➡️ इस अतिरिक्त निर्माण के लिए कोई कंपाउंडिंग शुल्क नहीं लगेगा।
➡️ इससे भवनों में अतिरिक्त कमरे, दुकान या अन्य निर्माण की अनुमति होगी।
एफएआर में कितना मिलेगा लाभ?
➡️ वर्तमान में एफएआर = 1.25 (यानी भूखंड के क्षेत्रफल का 125%)
➡️ सोलर प्लांट लगाने पर अतिरिक्त 0.25 एफएआर की अनुमति दी जाएगी।
➡️ यानी कुल मिलाकर 1.50 एफएआर तक निर्माण की अनुमति मिलेगी।
इसका लाभ किन्हें मिलेगा?
➡️ छोटे, मध्यम और बड़े भवन निर्माता
➡️ कॉम्प्लेक्स, अपार्टमेंट कॉलोनी, कमर्शियल बिल्डिंग्स
➡️ व्यक्तिगत घर मालिक भी इसका लाभ उठा सकेंगे
सरकार का उद्देश्य क्या है?
भोपाल को सोलर सिटी बनाने की दिशा में यह कदम महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। शहर के लिए सरकार ने 900 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक 100 मेगावाट से भी कम ही उत्पादन हो सका है।
भोपाल में रिन्यूएबल एनर्जी की स्थिति
संभावित क्षमता : 1322 मेगावाट (रूफटॉप सोलर)
मौजूदा आवश्यकता : 250 से 270 मेगावाट/दिन
वर्तमान उत्पादन : 55 मेगावाट
भेल में स्थापित : 5 मेगावाट का प्लांट
निजी प्लांट : 3 किलोवाट
क्या बोले अधिकारी?
“रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए इसे एफएआर से जोड़ा गया है। इससे सोलर प्लांट लगाने वालों को सीधा लाभ मिलेगा और सोलर सिटी के लक्ष्य को पूरा करना आसान होगा।” - संजय शुक्ला, प्रमुख सचिव, शहरी आवास एवं विकास
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