भोपाल। आज का दिन मध्यप्रदेश में बेटियों को समर्पित है। राज्य के सभी 52 जिलों में आज ‘लाड़ली लक्ष्मी उत्सव’ मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है—हर बेटी को सम्मान, शिक्षा और आत्मनिर्भरता का अवसर देना। हर जिले, नगरीय निकाय और पंचायत स्तर पर आयोजन की व्यापक तैयारी की गई है। खास बात यह है कि इन आयोजनों का संचालन खुद लाड़ली बालिकाएं करेंगी, जिससे उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को निखारने का अवसर मिलेगा।
‘एक पेड़ लाड़ली लक्ष्मी के नाम’: बेटियों के सम्मान में पौधरोपण
उत्सव के तहत ‘एक पेड़ लाड़ली लक्ष्मी के नाम’ अभियान चलाया जाएगा। इस पहल में जन-प्रतिनिधियों और बालिकाओं द्वारा संयुक्त रूप से पौधे लगाए जाएंगे। यह सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना का प्रतीक भी होगा।
2006 से अब तक 48 लाख बेटियों को मिला लाभ
लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत वर्ष 2006 में हुई थी। तब से अब तक लगभग 48 लाख बेटियां इस योजना में रजिस्टर्ड हो चुकी हैं। यह योजना बेटियों को न सिर्फ आर्थिक सहयोग देती है, बल्कि उन्हें समाज में गर्व से सिर उठाकर जीने की प्रेरणा भी देती है।
बेटियों की प्रेरणादायक कहानियां होंगी केंद्र में
कार्यक्रम में उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वाली लाड़ली बालिकाओं को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही, ‘लाड़ली क्लब’ की सदस्याएं अपने जीवन के अनुभव और प्रेरक कहानियां साझा करेंगी। इससे अन्य बच्चियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
लाड़ली लक्ष्मी उत्सव में होंगे ये आयोजन
कन्या पूजन और दीप प्रज्ज्वलन
लाड़ली बालिकाओं के मोटिवेशनल स्पीच
‘अपराजिता कार्यक्रम’ के तहत मार्शल आर्ट का प्रदर्शन
फ्रेंडली पंचायतों का सम्मान और आश्वासन प्रमाण पत्रों का वितरण
लक्ष्य सिर्फ आयोजन नहीं, सोच में बदलाव लाना है
यह उत्सव सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है। इसका उद्देश्य है समाज में बेटियों के प्रति सम्मान, सुरक्षा और समान अवसर की भावना को मजबूत करना। मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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