भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार अब कैबिनेट मीटिंग को सिर्फ सचिवालय की चारदीवारी तक सीमित नहीं रखेगी। जनकल्याण के फैसले अब तीर्थ की पवित्र भूमि से लिए जाएंगे। श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट से लेकर श्रीकृष्ण से जुड़ा सांदिपनि आश्रम और महाकाल नगरी उज्जैन तक, राज्य सरकार इन पवित्र स्थलों पर डेस्टिनेशन कैबिनेट की बैठकें आयोजित करने जा रही है।
सरकार का मानना है कि यह न केवल जनभावनाओं का सम्मान है, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के जरिए प्रदेश के पर्यटन और आर्थिक विकास को भी रफ्तार मिलेगी।
कौन-कौन से तीर्थ बनेंगे कैबिनेट का गवाह?
प्रदेश में 40 से अधिक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल ऐसे हैं, जिन्हें डेस्टिनेशन कैबिनेट के लिए चिह्नित किया जा रहा है। ये वे स्थान हैं जो न केवल पवित्रता से भरपूर हैं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अमूल्य हैं:
➡️ चित्रकूट – श्रीराम की तपोभूमि
➡️ सांदिपनि आश्रम, उज्जैन – श्रीकृष्ण की शिक्षा भूमि
➡️ अमरकंटक और मुलताई – नर्मदा और ताप्ती नदियों के उद्गम स्थल
➡️ पीतांबरा शक्ति पीठ, दतिया – जनकल्याण का प्रतीक
➡️ भोजपुर मंदिर – विशाल शिवलिंग और ऐतिहासिक महत्त्व
➡️ जानापाव, महू – परशुराम और श्रीकृष्ण से जुड़ा पौराणिक स्थल
➡️ ओंकारेश्वर – ज्योतिर्लिंग और शंकराचार्य की साधना भूमि
➡️ हनुवंतिया – टूरिज्म और रोजगार का नया केंद्र
➡️ सलकनपुर देवी धाम – श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक
अब तक 4 डेस्टिनेशन कैबिनेट हो चुकी
मोहन सरकार ने डेढ़ साल के कार्यकाल में अब तक चार डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठकें की हैं:
सिंग्रामपुर, दमोह – रानी दुर्गावती से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल
महेश्वर और इंदौर (राजबाड़ा) – देवी अहिल्या बाई होलकर को समर्पित
पचमढ़ी – आदिवासी नायक राजा भभूत सिंह की स्मृति
रोजगार और पर्यटन को मिलेगी रफ्तार
इन बैठकों का उद्देश्य केवल प्रतीकात्मक नहीं है। सरकार चाहती है कि जब किसी ऐतिहासिक स्थल पर कैबिनेट बैठक की तिथि तय होगी, तब वहां स्थानीय स्तर पर विकास कार्य तेज होंगे, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
स्थलों की साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण होगा
लोकल उत्पादों और हस्तशिल्प को मिलेगा बाजार
नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़ने का अवसर
स्थानीय पर्यटन और रोजगार में वृद्धि
जन भावनाओं का सम्मान, संस्कृति से संवाद
यह निर्णय केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संवाद का हिस्सा है। इन बैठकों से प्रदेश के लोग न केवल अपने इतिहास से जुड़ेंगे, बल्कि सरकार के निर्णयों में अपनी संस्कृति की झलक भी देख सकेंगे।
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