भोपाल। जब पाकिस्तान की धरती पर भारतीय मिसाइलों की गर्जना गूंजी, तो उसके कई आतंकी ठिकाने धूल में मिल गए। ऑपरेशन सिंदूर के नाम से चली इस गुप्त कार्रवाई ने न सिर्फ आतंकवादियों को सबक सिखाया, बल्कि भारत की सैन्य रणनीति की नई परिभाषा भी गढ़ दी। लेकिन इस हमले के बाद सबसे बड़ा सवाल उठता है—देश का दिल कहा जाने वाला मध्यप्रदेश, जो सीमाओं से कोसों दूर है, वह अलर्ट पर क्यों? क्या यहां छिपा है भारत की सैन्य ताकत का असली केंद्र?
ऑपरेशन सिंदूर: 100 आतंकियों का खात्मा, 9 आतंकी ठिकाने तबाह
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 15 दिन बाद पाकिस्तान में जवाबी हमला किया। भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत मिसाइल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के 9 बड़े आतंकी अड्डों को नष्ट कर दिया। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।
7 राज्यों के एयरपोर्ट बंद, एमपी भी अलर्ट पर
जवाबी कार्रवाई के बाद एहतियातन 7 राज्यों के 18 एयरपोर्ट्स को बंद कर दिया गया। इनमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात जैसे सीमावर्ती राज्य तो शामिल हैं ही, लेकिन सीमाओं से दूर स्थित मध्यप्रदेश को भी हाई अलर्ट पर रखा गया। आखिर क्यों?
एक्सपर्ट ने बताया एमपी की सैन्य ताकत के पीछे की असली वजह
रिटायर्ड कर्नल डॉ. शैलेंद्र सिंह राणा बताते हैं कि एमपी भले ही सरहद से दूर हो, लेकिन यहां सेना के कई अहम यूनिट्स हैं। जबलपुर की ऑर्डनेंस फैक्ट्री, महू का आर्मी वॉर कॉलेज, ग्वालियर का एयरफोर्स बेस—ये सभी भारत की रक्षा तैयारियों की रीढ़ हैं।
एमपी के ये 5 शहर क्यों हैं रणनीतिक रूप से बेहद अहम?
1. जबलपुर : भारत की गोला-बारूद फैक्ट्री
➡️ ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया और GCF फैक्ट्री में सेना के लिए बम, गोले और स्वदेशी धनुष तोप का निर्माण
➡️ कारगिल से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक, यहीं से गई सप्लाई
2. महू – 207 साल पुरानी छावनी
➡️ आर्मी वॉर कॉलेज, इंफेंट्री स्कूल और MCTE जैसे प्रतिष्ठान
➡️ यहां से बनते हैं युद्ध रणनीतिकार और सिग्नल कम्युनिकेशन एक्सपर्ट
3. ग्वालियर – मिराज 2000 का ठिकाना
➡️ मिराज 2000 की बेस लोकेशन, कारगिल में निभाई थी बड़ी भूमिका
➡️ BSF, CRPF ट्रेनिंग सेंटर और DRDE रिसर्च यूनिट भी यहीं
4. भोपाल – कमांड और डेटा का केंद्र
➡️ भेल फैक्ट्री, CRPF बटालियन और साइबर मुख्यालय
➡️ रक्षा संचार और सप्लाई में अहम भूमिका
5. इंदौर – कमांडो ट्रेनिंग और रिसर्च हब
➡️ महू में आर्मी कॉलेज, BSF फायरिंग रेंज, कमांडो ट्रेनिंग सेंटर
➡️ सेना के आधुनिकरण से जुड़ी कई परियोजनाओं का संचालन
खमरिया ऑर्डनेंस फैक्ट्री: देश की रक्षा का गोला-बारूद हब
खमरिया की ऑर्डनेंस फैक्ट्री से तीनों सेनाओं को गोला-बारूद की सीधी सप्लाई होती है। सुखोई और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों के लिए 250 और 120 किलोग्राम के एयर बम यहीं तैयार किए जाते हैं। हाल ही में आतंकी हमले के बाद फैक्ट्री में छुट्टियां रद्द कर दी गईं, उत्पादन टारगेट हाई पर है। 1943 से शुरू हुई यह फैक्ट्री 1962 के चीन युद्ध से लेकर कारगिल तक हर युद्ध में सेना की रीढ़ रही है।
गन कैरिज फैक्ट्री, जबलपुर: स्वदेशी धनुष तोप की ताकत
कारगिल में लहराई जीत की पताका, अब आत्मनिर्भर भारत का गर्व बन चुकी है ‘धनुष’। 155mm, 45 कैलिबर की यह तोप 38-40 किमी तक निशाना साध सकती है। ऑटोमैटिक, हल्की, सैटेलाइट कंट्रोल और खुद से गोला लोड करने की क्षमता ने इसे हाईटेक बना दिया है। 17 करोड़ की लागत में विदेशी तोपों से सस्ती और अधिक घातक।
महू छावनी: जहां तैयार होते हैं जांबाज़
207 साल पुरानी यह छावनी तीन बड़े सैन्य संस्थानों का गढ़ है – इंफेंट्री स्कूल, MCTE और आर्मी वॉर कॉलेज। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व से लेकर रणनीतिक रिसर्च तक, यहां तैयार होते हैं सेनाओं के लीडर। MCTE में आईटी और टेलीकम्युनिकेशन की अत्याधुनिक ट्रेनिंग, दुनिया भर के अफसर भी यहां आते हैं। आर्मी वॉर कॉलेज हर साल 3000 से अधिक अधिकारियों को युद्ध कौशल सिखाता है।
ग्वालियर एयरबेस: मिराज 2000 का अडिग अड्डा
ग्वालियर एयरबेस से उड़े थे वो मिराज, जिन्होंने कारगिल में दुश्मनों के बंकर तबाह किए थे। यह बेस 1985 से मिराज 2000 बेड़े का मुख्य केंद्र है। यह एयरबेस सेंटरल एयर कमांड के तहत आता है और रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है।
सावधानी के लिए मॉकड्रिल, रेड क्रॉस और ब्लैकआउट की तैयारी
कर्नल सिंह के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पलटवार कर सकता है। हालांकि इसकी संभावना कम है, फिर भी मॉक ड्रिल, अस्पतालों की तैयारियां, ब्लैकआउट प्रैक्टिस और नागरिकों को अलर्ट रहने की सलाह दी गई है।
मध्यप्रदेश की भौगोलिक दूरी भले ही सीमाओं से ज्यादा हो, लेकिन रणनीतिक दृष्टिकोण से यह देश की सैन्य हिम्मत और तैयारियों का केंद्र है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश की आंतरिक सुरक्षा में एमपी की भूमिका को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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