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खुद तप कर हम सबके जीवन को ज्ञान और आनंद से प्रकाशित करते हैं संत: डॉ. मोहन यादव

खुद तप कर हम सबके जीवन को ज्ञान और आनंद से प्रकाशित करते हैं संत: डॉ. मोहन यादव

भोपाल। 'संतों का जीवन और आदर्श हमेशा अनुकरणीय होता है। जैसे सूर्य खुद जलकर हम सबको प्रकाश देता है, वैसे ही संत भी खुद तप कर हम सबके जीवन को ज्ञान और आनंद से प्रकाशित करते हैं। संत कंवरराम भी ऐसे ही एक महान संत थे।' ये बातें- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को उज्जैन की सिंधी कॉलोनी अलखधाम नगर के सार्वजनिक उद्यान में संत कंवरराम की प्रतिमा के अनावरण समारोह में कहीं।

      

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन अत्यंत शुभ दिन है। आज वैशाख माह की पूर्णिमा है। आज बुध्द पूर्णिमा है। संत कंवरराम ने लोगों को सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। वे सबको साथ में लेकर चलने में विश्वास रखते थे। संत कंवरराम की प्रतिमा स्थापना से सबको उनका आशीर्वाद मिलता रहेगा। उन्होंने नगरपालिका निगम के अधिकारियों से कहा कि उद्यान का नियमित रूप से रखरखाव किया जाए। अलखधाम नगर के उद्यान को आदर्श उद्यान बनाए जाने के लिए शासन की ओर से सहयोग राशि दिए जाने की घोषणा भी की।


ईश्वर की सेवा के समान है दिव्यांगजनों की सेवा

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दिव्यांगजनों को निशुल्क धार्मिक यात्रा के प्रमाणपत्र वितरण के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि दिव्यांगजनों की सेवा ईश्वर की सेवा के समान है। समर्थ सेवा संस्थान की ओर से किया गया यह कार्य सबके लिए अनुकरणीय भी है। समर्थ सेवा संस्थान की ओर से अब तक 47 दिव्यांगजनों को धार्मिक हवाई यात्रा निशुल्क करवाई गई है। मुख्यमंत्री ने संस्था के पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दीं।


संत कंवरराम एक प्रसिद्ध भारतीय संत और कवि थे

कार्यक्रम में श्याम माहेश्वरी ने संस्थान के बारे में जानकारी दी। दौलत खेमचंदानी ने बताया कि संत कंवरराम एक प्रसिद्ध भारतीय संत और कवि थे, जिन्होंने भक्ति साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कविताओं में जीवन के मूल्यों, प्रेम, और अध्यात्म की गहराई को व्यक्त किया गया है। संत कंवरराम का जन्म राजस्थान में हुआ था। उनकी कविताओं में सादगी, प्रेम, और अध्यात्म की भावना देखने को मिलती है। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई।

Sanju Suryawanshi

Sanju Suryawanshi

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