आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा कि हर शिव मंदिर के बाहर बैल क्यों बनाया जाता है? जानते हैं इसके पीछे की मुख्य वजह। शिव ही शक्ति के स्वामी हैं। हर कोई अलग-अलग उद्देश्यों- धन, शक्ति, स्वास्थ्य आदि के लिए शक्ति मांगता है। शायद ही कोई शक्ति के दर्शन करना चाहता हो, क्योंकि उन्हें शक्ति का अर्थ ही नहीं पता। वे शिवधाम के द्वार पर पहुंचकर वहां अशांति फैलाने लगते हैं। इसलिए शिवधाम में गण नियुक्त किए जाते हैं- भूत, प्रेत, पिशाच...और नंदी। गणों का काम अयोग्य के प्रवेश को रोकना है।
यदि शक्ति अयोग्य लोगों के हाथ में आ जाए तो वे उसका दुरुपयोग करेंगे। भूत, प्रेत और पिशाच जहां साधक को परेशान करते हैं और डराते हैं, वहीं सबसे बड़ी बाधा नंदी (बैल) द्वारा उत्पन्न की जाती है। इसलिए किसी भी गौशाला में जाकर नंदी (बैल) की देखभाल करना शुरू करें। उसका पालन-पोषण करें। सुनिश्चित करें कि उसे कोई कष्ट न हो और प्रतिदिन उसकी 7 परिक्रमा करें। फिर आप जो भी चाहते हैं, नंदी आपको वह दे देता है। और फिर, आप उसमें फंस जाते हैं !
जरा सोचिए, आप अधिक से अधिक क्या मांगेंगे ? बेहतर नौकरी ? ज़्यादा पैसे ? बेहतर रिश्ते ? बेहतर स्वास्थ्य ? कोई भी शक्ति के दर्शन या शिव धाम पहुंचने के लिए नहीं कहेगा...यह अंधकार या अविद्या है। ये सभी चीजें उस जीवन को बेहतर बनाने से जुड़ी हैं जो अस्थायी है, शरीर चला जाएगा, रिश्ते और नौकरी और पद या धन-संपत्ति चली जाएगी। भौतिक सुखों में डूबे रहने से शिव का विचार आपके मन में नहीं आएगा, आप शिव के मार्ग पर नहीं चल पाएंगे।
केवल गुरु ही आपको दे सकते हैं सद्बुद्धि
नंदी की सेवा से आपको सबसे बड़ा पुण्य मिलता है। केवल गुरु ही आपको सद्बुद्धि दे सकते हैं, जिससे आप इस पुण्य का उपयोग शिवधाम तक पहुंचने के लिए कर सकें। खुद को भौतिकता में और अधिक न बांधें, जो आपको वैसे भी छोड़ देगी।
- अश्विनीजी गुरुजी ध्यान आश्रम के मार्गदर्शक हैं।
www.dhyanfoundation.com पर जाकर इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।
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