भोपाल। बिजली उत्पादन में सरप्लस राज्य माने जाने वाले मध्यप्रदेश को लेकर एक नई चिंता उभर रही है। 2029 के बाद बिजली की कमी की आशंका जताई गई है। इसी के मद्देनज़र सरकार ने 4100 मेगावाट नई बिजली व्यवस्था की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें से 3200 मेगावाट के थर्मल प्लांट और 900 मेगावाट की खरीद की योजना बनाई गई है।
क्या है योजना?
कुल प्रस्तावित बिजली क्षमता: 4100 मेगावाट
थर्मल (कोयला आधारित) प्लांट: 3200 मेगावाट
बिजली खरीद: 900 मेगावाट (मौजूदा प्लांटों से)
समयसीमा: 5 साल के भीतर प्रोजेक्ट पूरे करने का लक्ष्य
निविदा प्रक्रिया: पावर मैनेजमेंट कंपनी ने तेज की
जब सरप्लस बिजली है तो प्लांट क्यों?
वर्तमान में मप्र के पास 26,700 मेगावाट उत्पादन क्षमता
पीक सीजन में मांग अधिकतम 20,000 मेगावाट
यानी अभी 6,000 मेगावाट तक सरप्लस
मगर, सिर्फ 5,000 से 6,000 मेगावाट उत्पादन मप्र के सरकारी संसाधनों से
शेष बिजली एनटीपीसी व निजी कंपनियों से खरीदनी पड़ती है
विशेषज्ञों की राय में विरोधाभास
ऊर्जा विश्लेषक राजेंद्र अग्रवाल का कहना है:
"थर्मल प्लांट वैश्विक रूप से घटाए जा रहे हैं, क्योंकि ये पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं। मध्यप्रदेश के सारणी प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश आसपास के नदी-नालों को प्रदूषित कर रही है। फिर ऐसे समय में कोयला आधारित प्लांट क्यों?"
पर्यावरणीय चुनौती
➡️ थर्मल प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश, कार्बन उत्सर्जन, और जल प्रदूषण बड़ी समस्या
➡️ भारत सहित कई देशों में हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) पर ज़ोर
➡️ मप्र की नवीन ऊर्जा नीति 2025 पहले ही री-न्यूएबल एनर्जी को प्राथमिकता दे रही है
भविष्य की जरूरतें और केंद्र की सलाह
➡️ केंद्र सरकार और प्राइस वाटर हाउस कूपर्स की रिपोर्ट के अनुसार,
➡️ 2029 के बाद बिजली की मांग में तेज़ उछाल आ सकता है
➡️ इसलिए राज्य को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी चाहिए, ताकि वह बाजार पर निर्भर न रहे
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