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‘अगर हम नहीं बदले, तो मिट्टी भी जवाब दे देगी’ – जलवायु परिवर्तन पर भोपाल में हुई कॉन्फ्रेंस में गूंजी चेतावनी

‘अगर हम नहीं बदले, तो मिट्टी भी जवाब दे देगी’ – जलवायु परिवर्तन पर भोपाल में हुई कॉन्फ्रेंस में गूंजी चेतावनी

भोपाल। "धरती जल रही है, खेत सूख रहे हैं, और किसान अकेला नहीं लड़ सकता।" कुछ इसी सख्त लेकिन सच्चे लहजे में भोपाल के होटल मैपल में जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित सेमिनार में बात की गई। सॉलिडरिडाड नेटवर्क एशिया के बैनर तले हुई इस एक दिवसीय कॉन्फ्रेंस में वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों और नीति निर्माताओं ने साझा किया कि कैसे बदलती जलवायु अब भारत के कृषि ढांचे को धीरे-धीरे खा रही है।


कृषि पर जलवायु परिवर्तन की मार: पैदावार घट रही, मुनाफा टूट रहा

कार्यक्रम के दौरान संस्था के जनरल मैनेजर डॉ. सुरेश मोटवानी ने वैज्ञानिक आंकड़ों और अनुभवों के साथ बताया कि किस तरह बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और बाढ़-सूखे की घटनाएं फसल उत्पादन को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही हैं। खेती अब मौसम की नहीं, बल्कि अनिश्चितताओं की मोहताज हो चुकी है।


हर छोटा व्यक्ति ला सकता है बड़ा बदलाव : मंत्री विश्वास सारंग

कार्यक्रम का शुभारंभ मध्य प्रदेश सरकार के सहकारिता और खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को लेकर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “जब तक हम खुद की आदतें नहीं बदलते, तब तक कोई नीतिगत बदलाव भी कारगर नहीं होगा।” उन्होंने ये भी जोड़ा कि जलवायु परिवर्तन कोई दूर की चिंता नहीं, बल्कि घर-आंगन तक पहुंच चुका संकट है।


क्यों जरूरी है जागरूकता और स्थानीय प्रयास?

कॉन्फ्रेंस में यह भी रेखांकित किया गया कि वैश्विक स्तर की नीति के साथ-साथ स्थानीय समुदायों को भी पर्यावरणीय जागरूकता से जोड़ना होगा। गांवों में रूफटॉप सोलर, वर्षा जल संचयन और जैविक खेती जैसे छोटे लेकिन असरदार उपायों से बड़ा असर डाला जा सकता है।


अब नहीं चेते तो कल देर हो जाएगी

भोपाल की इस सेमिनार ने यह साफ कर दिया कि जलवायु परिवर्तन अब अनुमान नहीं, अनुभव की बात बन चुका है। अगर खेती को बचाना है, तो सिर्फ किसान नहीं – हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होगी।

Sanju Suryawanshi

Sanju Suryawanshi

sanju.surywanshi1@gmail.com

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