नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से घटनाक्रम तेजी से बिगड़ा है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने साफ किया है कि यह हमला भारत के संयम की परीक्षा थी और जवाबी कार्रवाई केवल आतंकी हरकतों के खिलाफ थी।
लेकिन पाकिस्तान ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताकर श्रीनगर, अवंतीपुरा, उधमपुर जैसे शहरों पर हमला किया। इससे भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में नया तनाव पैदा हुआ है।
क्या है हर्मन कान की एस्केलेशन थ्योरी?
1960 में अमेरिकी रणनीतिकार हर्मन कान ने "On Theronuclear War" में एक सिद्धांत दिया था – “एस्केलेशन लैडर”। इसके मुताबिक युद्ध की स्थिति धीरे-धीरे सीढ़ी के रूप में बढ़ती है – शांति से लेकर परमाणु युद्ध तक। उन्होंने इस प्रक्रिया को 44 स्तरों में बांटा।
भारत-पाक अब किस सीढ़ी पर हैं?
क्यों चिंताजनक है मौजूदा स्थिति?
पाकिस्तान की ओर से 26 स्थानों पर हवाई हमले की कोशिश की गई।
चिकित्सा और शैक्षणिक संस्थानों को भी बनाया गया निशाना।
जम्मू में नागरिकों की मौत, पुंछ और राजौरी में शेलिंग जारी।
भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के रडार और तकनीकी ठिकानों पर हमले किए।
परमाणु खतरे से पहले रुकना होगा
हालांकि दोनों देशों ने परमाणु हथियारों की चेतावनी नहीं दी है, लेकिन एस्केलेशन थ्योरी के अनुसार हम उस "पूरे युद्ध" वाले स्तर के बेहद करीब आ चुके हैं। अगला कदम सीधे परमाणु तैनाती की ओर ले जा सकता है।
डिप्लोमेसी और संयम ही विकल्प हैं
“हर अगली सीढ़ी युद्ध को विनाश के करीब ले जाती है। अगर हमें शांति चाहिए तो इस सीढ़ी को नीचे उतरना होगा।” : हर्मन कान
भारत और पाकिस्तान दोनों को चाहिए कि वे संवाद, राजनयिक हस्तक्षेप और संयमित दृष्टिकोण से इस बिगड़ती स्थिति को नियंत्रित करें। युद्ध किसी के भी हित में नहीं है, खासकर तब जब दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हों।
हर्मन कान की एस्केलेशन थ्योरी आज भी बेहद प्रासंगिक है। भारत और पाकिस्तान अगर समय रहते चेतें, तो विनाश की ओर बढ़ने से रोका जा सकता है। वरना अगला कदम बेहद खतरनाक हो सकता है।
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