नई दिल्ली। भारत अब सिर्फ सीमाओं पर नहीं, दुनिया के मंच पर भी आतंक के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के मूड में है। 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार अब कूटनीति के मोर्चे पर आक्रामक रणनीति अपनाने जा रही है। इसी रणनीति के तहत, इस महीने के अंत में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के ताकतवर देशों का दौरा करेंगे और भारत की "जीरो टॉलरेंस" नीति को स्पष्ट और मजबूत स्वर में सामने रखेंगे।
भारत का आतंकवाद पर वैश्विक मोर्चा: 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजेगा भारत
संसदीय कार्य मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की कि इन प्रतिनिधिमंडलों में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों से नेता शामिल होंगे। इनका उद्देश्य भारत की एकमत आतंकवाद विरोधी नीति को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करना है।
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन हैं शामिल?
इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व देश के प्रमुख राजनीतिक दलों से चुने गए सात वरिष्ठ सांसद करेंगे:
रवि शंकर प्रसाद (भाजपा)
बैजयंत पांडा (भाजपा)
शशि थरूर (कांग्रेस)
संजय झा (जेडीयू)
कनीमोझी (डीएमके)
सुप्रिया सुले (एनसीपी - शरद पवार गुट)
श्रीकांत शिंदे (शिवसेना - शिंदे गुट)
किसे मिलेगा भारत का संदेश?
हर प्रतिनिधिमंडल करीब 5 देशों का दौरा करेगा, जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य और भारत के प्रमुख रणनीतिक साझेदार देश शामिल होंगे। इस दौरान भारत के अनुभवी और वरिष्ठ राजनयिक भी हर प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे।
NDA और INDIA ब्लॉक दोनों का प्रतिनिधित्व
चार प्रतिनिधि एनडीए (भाजपा नेतृत्व वाली सरकार) से हैं, जबकि तीन विपक्षी INDIA गठबंधन से। यह संतुलन भारत के राजनीतिक दलों की राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे पर एकजुटता को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का बयान
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "जो क्षण सबसे ज्यादा मायने रखते हैं, उनमें भारत एकजुट होता है। यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, जो राजनीतिक मतभेदों से ऊपर है।”
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