मैंने भजन को नहीं चुना लेकिन ईश्वर ने मुझे भजन गाने के लिए चुना और मैंने भजन गाना शुरू कर दिया। भजन गाने की वजह से मुझे दूसरे जॉनर के गाने भी कम मिले लेकिन उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि भजन गाने से मुझे जो आनंद मिलता है वह फिल्मी गाने गाने में नहीं मिल सकता है। मुझे लगता है कि मैं बड़ा किस्मत वाला हूं कि मुझे भजन गायक के रूप में लोगों ने स्वीकार किया। ‛ऐसी लागी लगन गाने’ से मुझे बहुत ख्याति मिली।इसकी लोकप्रियता देखते हुए मुझे भजन सम्राट की उपाधि मिली। यह कहना है पद्मश्री से सम्मानित और भजन सम्राट के नाम से विख्यात गायक ‛अनूप जलोटा’ का। वह भोपाल में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान ‛न्यूज़ वर्ल्ड’ से खास बातचीत में उन्होंने अपना संगीतमय सफर साझा किया।
मौका मिला तो राजनीति में जरूर आऊंगा
राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जिसके माध्यम से हम देश की काफी सेवा कर सकते हैं। संगीत के माध्यम से हम इनडायरेक्टली लोगों की सेवा करते हैं,लोगों के मन में अच्छे विचार जगाते हैं लेकिन पॉलिटिक्स के माध्यम से हम लोगों की डायरेक्ट सेवा कर सकते हैं। लोगों के लिए घर बना सकते हैं,सड़के बनवा सकते हैं,स्कूल बनवा सकते हैं तो मैं समझता हूं कि पॉलिटिक्स में कभी भी मौका मिले तो मैं जरूर आऊंगा। मैं अटल बिहारी वाजपेई जी से बहुत प्रभावित रहा हूं,अब एक अवतार पुरुष मोदी जी ने हमारे देश की बागडोर संभाली है और उनसे अच्छा कोई नहीं है।
संगीत मेरा जीवन, मैं सुरों में सांस लेता हूं
संगीत तो मेरा जीवन है मैं सुरों में सांस लेता हूं एक्टिंग कभी-कभी कर लेता हूं बाकी समय तो मेरा संगीत में ही गुजरता है। वैसे मैं बचपन से ही एक्टिंग करता रहा हूं,कभी स्कूल के स्टेज पर,कभी थिएटर में एक्टिंग करता रहा हूं। अब जब-जब मुझे मौका मिलता है और कोई अच्छा रोल आता है तो मैं एक्टिंग जरूर करता हूं।मुझे एक्टिंग करने में बड़ा आनंद आता है क्योंकि यह कुछ दिन एक नई जिंदगी जीने जैसा लगता है। आप शूटिंग कर रहे हैं। यूनिट के साथ बैठे हैं,बाकी दिनों में तो मुझे म्यूजिशियन्श के साथ ही बैठना पड़ता है इसलिए फिल्में काम करने का मौका मिलता है तो मुझे एक नया चेंज लगता है।आजकल बायोपिक के ट्रेंड को देखते हुए अगर मुझ पर कभी बायोपिक बनती है तो मुझे लगता है कि रणबीर कपूर मेरे रोल के साथ न्याय कर सकेगा।
आजकल के प्लेबैक सिंगर में मौलिकता नहीं
आजकल के प्लेबैक सिंगर में बहुत कम लोगों में ऐसी क्वालिटी है जिनकी आवाज में अलग हो,जिसमें मौलिकता नजर आती हो। बाकी तो कोई रफी साहब की कॉपी कर रहा है तो कोई किशोर कुमार को, कोई हेमंत कुमार की कोई मन्ना डे जी की कॉपी कर रहा है। मैं समझता हूं कि जिसकी आवाज कुछ अलग आवाज होती है वह कलाकार अमर हो जाता है। जैसे लता जी की आवाज है आशा जी की आवाज है मुकेश जी, हेमंत कुमार, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार की आवाज अलग है। इन सब का इतना नाम इसलिए हुआ क्योंकि इनमें कोई भी दूसरे की नकल नहीं करता था। आजकल तो लोग नकल करके गाने गा रहे हैं इसलिए उनका नाम नहीं हो पाता।
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