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सफलता कभी भी इंस्टेंट कॉफी की तरह नहीं मिलती : शिल्पा राव

सफलता कभी भी इंस्टेंट कॉफी की तरह नहीं मिलती : शिल्पा राव

जब मेरा स्ट्रगल का दौर था मैं तब भी कभी निराश नहीं हुई। जब मैं जिंगल गाती थी उसे वक्त भी मुझे पता था कि अगर मैं म्यूजिक पर ही फोकस करूंगी, अपने काम पर फोकस करूंगी तो मुझे सफलता जरूर मिलेगी। दरअसल सफलता कभी भी इंस्टेंट कॉफी या पिज्जा की तरह नहीं मिलती है इस पर मेहनत ज्यादा लगती है वक्त ज्यादा लगता है लेकिन इससे जो सीख मिलती है वह आपके साथ हमेशा रहती है। यह कहना है ‛बेशर्म रंग’ ‛घुंघरू टूट गए’ ‛खुदा जाने’ ‛मलंग’ और ‛तोसे नैना लागे’ जैसे सुपरहिट गीतों को अपनी आवाज देने वाली ‛शिल्पा राव’ का। वह भोपाल के एक निजी कॉलेज में अपनी संगीतमय प्रस्तुति देने पहुंची थी। इस दौरान उन्होंने न्यूज वर्ल्ड से खास बातचीत में अपना संगीतमय सफर साझा किया।


‛बेशर्म रंग’ गाने के लिए मेरी गजल की तालीम काम आई

तोसे नैना लागे रे गाना हमेशा मेरे दिल के करीब है यह मैंने संगीत के करियर का टर्निंग पॉइंट रहा। बेशर्म रंग गाने के लिए मुझे इस साल फिल्मफेयर अवार्ड मिला है और इस गाने को गाने के लिए मैंने गजल की जो भी तालीम ली थी वो सारी मैंने इसके लिए यूज़ की है।ये उस तालीम का  ही असर है कि यह गाना लोगों को इतना पसंद आया कि लोग उसे आज भी सुन रहे हैं और यहां लोगों के दिलों पर असर कर रहा है।


हरिहरन जी से मिलकर मेरी जिंदगी में आया बदलाव

कुछ ऐसी चीज होती है कुछ ऐसे लोग होते हैं हरिहरन जी जैसे,जो आपको बहुत इंस्पायर करते हैं। जिनसे मिलकर आपको लगता है कि उन्होंने जो आपके लिए किया है वह कोई और नहीं कर सकता।  उन्होंने मुझे जिस तरह से संगीत सिखाया है, जिस तरह उन्होंने मुझे प्रोत्साहन दिया है कि अगर संगीत को सीरियसली लोगी तो ही जीवन में कुछ अच्छा हो सकता है। मैं खुश किस्मत हूं कि मुझे उन्होंने एक गुरु की तरह सिखाया और शिक्षा दी। और उनकी ही वजह से ही मेरी जिंदगी में काफी बदलाव आया है।


मेरी कोशिश रहती है कि मीनिंगफुल सॉन्ग गाऊं

मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो चीजों को प्लान करके चलते हैं। मैं खुद नहीं जानती कि आगे क्या करूंगी लेकिन मेरी कोशिश रहती है कि मैं जो भी गाने गाती हूं उससे कनेक्ट हो सकूं। मेरे गानों के बोल के पीछे कुछ वजह हो।मेरी हमेशा ही कोशिश रहती है कि कुछ नया करूं,कुछ नया सीखूं,नए लोगों के साथ कॉलोब्रेट करूं ताकि ऑडियंस को कुछ नया सुनने को मिल सके।

Deepak Singh

Deepak Singh

deepak@newsworld.com

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