नई दिल्ली। कार्डियोलॉज के प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार ने बताया कि धूम्रपान और प्रदूषण ऐसे कारक हैं, जो हार्ट अटैक की स्थिति के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन जीवनशैल के कुछ कारक भी हृदय रोग की शुरुआत में बड़ी भूमिका निभाते है। भारत के स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय, आईसीएमआर के अध्ययन में कोविद्या रिकवरी के साथ-साथ दिल के दौरे और टीकाकरण के बीच संबंधों पर अध्ययन जारी है। कई अंतरराष्ट्री अध्ययनों ने अब सुझाव दिया है की हल्के कोविड संक्रमण और रिकवरी वाले लोगों में भी हृदय संबंधी बीमारियों के विकसित होने या हार्ट संबंधी समस्याओं के जल्दी शुरू हो की संभावना बढ़ गई है।
कोविड के बाद बढ़े मामले!
आईएमए कोच्चि के सदस्य डॉ. राजीव जयदेवन कहते हैं कि यह वाशिंगटन डीसी, सेंट लुइस, अमेरिका से इस विषय पर सामने आए पहले अध्ययनों में से एक है, जो अच्छी तरह से डेटा बेस पर आधारित एक बड़ा अध्ययन है। इसमें जो लोग ठीक हो गए थे और विशेष रूप से जिन्हें कई संक्रमण हुए थे, उनके परिणाम अधिक गंभीर हो सकते हैं। इसमें बाद में हुई हृदय संबंधी घटनाएं शामिल हैं। यह इस बात पर गंभीर चिंता पैदा करता है कि क्या 'केवल कोविड से संक्रमित होने से ही हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं। व्यायाम से हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है। जब ऐसा नहीं होता है तो हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। कोविड के बाद ऐसा हो रहा है।
कोविड से ठीक हुए रोगियों में जोखिम 93 प्रतिशत अधिक
इटली स्थित एक अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 से ठीक हुए रोगियों में तीव्र रोधगलन (मायोकार्डियल) का जोखिम 93 प्रतिशत अधिक था। हल्के रोग वाले लोगों को भी संक्रमण के एक साल बाद हृदय संबंधी समस्याओं का अधिक खतरा होता है। यह अध्ययन फरवरी में नेचर मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था । जब शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से हल्के कोविड वाले लोगों को देखा तो उन्होंने पाया कि ऐसे लोगों में समकालीन नियंत्रण समूह की तुलना में हृदय संबंधी समस्याएं विकसित होने का जोखिम 39 प्रतिशत अधिक था या 12 महीनों में प्रति 1000 लोगों पर 28 अतिरिक्त हृदय संबंधी समस्याएं हुई थीं।
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