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मध्य प्रदेश में शुरू से लोकसभा चुनाव में रहा है बीजेपी का बोलबाला, 27 से एक सीट पर सिमटी गई है कांग्रेस

मध्य प्रदेश में शुरू से लोकसभा चुनाव में रहा है बीजेपी का बोलबाला, 27 से एक सीट पर सिमटी गई है कांग्रेस

भोपाल। 1990 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक था, तब लोकसभा की 40 सीटें थीं। संयुक्त मध्य प्रदेश में 90 के दशक में कांग्रेस का दबदबा रहा था। इस दौर में ही बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपने चुनावी वर्चस्व को बढ़ाया है। 90 के दशक के बाद से एमपी और छत्तीसगढ़ में बीजेपी का ग्राफ बढ़ता गया है। कांग्रेस की सरकार रहने के दौरान भी लोकसभा चुनावों बीजेपी का दबदबा एमपी में रहा है। यह तब भी हुआ, जब 1993 से 2003 तक एमपी में दिग्विजय सिंह की सरकार थी। दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के दौरान तीन लोकसभा चुनाव हुए। इन तीनों चुनाव में बीजेपी का ही दबदबा दिखा है। यह चुनाव 1996, 1998 और 1994 में हुए थे।


इसके साथ ही केंद्र में 2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार रही है। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भी एमपी में बीजेपी को 29 में से 25 सीटें आईं। हालांकि 2009 में कांग्रेस की प्रदर्शन में सुधार हुआ था। कांग्रेस को 12 सीटें आई थी और बीजेपी के 16 सीटें मिली थी। इस दौरान अन्य को एक सीट पर जीत मिली थी। बीते तीन दशक में यह बीजेपी का सबसे कमजोर प्रदर्शन था।


2019 में सबसे दमदार प्रदर्शन

वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन सबसे दमदार रहा है। बीजेपी ने एमपी की 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 27 सीट पर जीता हासिल की थी। 2019 में कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा सीट पर चुनाव जीत पाई थी। यह कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ का गढ़ है।


बीजेपी का ही रहा है बोलबाला

दरअसल, 1991-2019 के बीच हुए लोकसभा चुनाव के रेकॉर्ड को देखें तो पता चलता है कि बीजेपी का ही बोलबाला है। साथ ही यह दिखता है कि कांग्रेस कैसे अपनी जमीन खो रही है। सिर्फ 2009 के प्रदर्शन को छोड़ दें कांग्रेस लगातार एमपी में नीचे गिरते रही है। इसी साल कांग्रेस सिर्फ 12, बीजेपी 16 और बीएसपी एक सीट जीत पाई थी।


1992 में 27 सीट जीती थी कांग्रेस

वहीं, 1991 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक था, तब कांग्रेस पार्टी 27, बीजेपी 12 और बीएसपी 1 सीट जीती थी। मध्य प्रदेश में यह कांग्रेस की बड़ी जीत थी। बीजेपी की तुलना में दोगुनी सीटें जीती थी। कांग्रेस को यह सफलता तब मिली थी, जब एमपी में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी।

News World Desk

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