भोपाल। लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। सभी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशी को लेकर दम भर रही हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। बीजेपी ने सभी 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं, वहीं कांग्रेस ने अब तक सिर्फ 25 सीटों पर ही उम्मीदवारों का एलान किया है। एमपी की 29 लोकसभा सीटों में से चार सीटें बेहद अहम है, जिसे भाजपा का अभेद्य किला कहा जाता है। इस सीट पर बीते तीन दशक से अधिक समय से भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस अब तक इन चार सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है।
भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली ये सीटें हैं भोपाल, विदिशा, इंदौर और भिंड। इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस हर बार उम्मीदवार भी बदलती है लेकिन उसे आज तक कामयाबी नहीं मिली है। भोपाल से तो 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को भी उतारा था लेकिन जीत नहीं मिली। वहीं, बीजेपी ने भी पिछले तीन चुनावों में हर बार भोपाल में उम्मीदवार बदले हैं। 2019 में दिग्विजय सिंह के खिलाफ साध्वी प्रज्ञा थी।
बीजेपी जहां पिछले 35 सालों में इन चारों सीटों पर अपराजेय रही है, वहीं कांग्रेस के पास एमपी में दिखाने लायक कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन सिर्फ छिंदवाड़ा लोकसभा पर ही दीखता है, जिसका प्रतिनिधित्व पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ करते हैं, जो 1980 के दशक से जीतते आ रहे हैं। कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से केवल एक बार 1997 में हारे थे, जब वह उपचुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता सुंदरलाल पटवा से हार गए थे। 1996 के लोकसभा चुनावों में, कमल नाथ की पत्नी अलका नाथ ने पारिवारिक क्षेत्र से जीत हासिल की थी। 1998 में कमल नाथ ने यह सीट जीती और 2019 में उनके बेटे नकुल नाथ को उनके पिता की सीट से मैदान में उतारा गया और उन्होंने सीट जीत ली।
2019 के आम चुनावों में, बीजेपी ने एमपी में 29 में से 28 सीटें जीतीं और नाथ के गढ़ में सेंध नहीं लगा सकी। नकुलनाथ एक बार फिर मैदान में हैं, लेकिन इस बार बीजेपी इस सीट को जीतने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है और उसके वरिष्ठ नेता और एमपी कैबिनेट में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इसके लिए छिंदवाड़ा में डेरा डाले हुए हैं। भाजपा ने अपने जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है, जो 2019 के उपचुनाव और 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से दो बार कमल नाथ से हार गए थे। अपने मिशन-29 के साथ बीजेपी का लक्ष्य किसी भी कीमत पर छिंदवाड़ा जीतना है।
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